इजरायल-ईरान दोनों दोस्त...अगर जंग बढ़ी तो भारत का क्या होगा? समझ लें संघर्ष के मायने

Israel-Iran War in Hindi: ईरानी हमले के छह दिन बाद इज़रायल ने कथित रूप से बदला लिया. ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई के 85वें जन्मदिन पर इज़रायल की सेना ने ईरान के इस्फहान स्थित सैन्य हवाई अड्डे समेत 8 शहरों पर हमला कर दिया. ईरानी मीडिया ने भी हम

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Israel-Iran War in Hindi: ईरानी हमले के छह दिन बाद इज़रायल ने कथित रूप से बदला लिया. ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई के 85वें जन्मदिन पर इज़रायल की सेना ने ईरान के इस्फहान स्थित सैन्य हवाई अड्डे समेत 8 शहरों पर हमला कर दिया. ईरानी मीडिया ने भी हमलों की तस्दीक की, और बताया कि इस्फहान में एक जोरदार धमाके की आवाज़ सुनाई दी. साथ ही आसमान में ड्रोन्स भी नज़र आए. जबकि, एक वीडियो भी सामने आया, जिसमें धमाके के साथ धुएं का गुबार उठता नज़र आया.

ईरानी मीडिया ने बाद में कहा कि इस्फ़हान में हालात सामान्य है और कोई ज़मीनी विस्फोट नहीं हुआ. ईरानी अधिकारियों ने शुरू में उड़ानें रोक दीं और अपने हवाई क्षेत्र को साफ कर दिया, लेकिन बाद में उड़ानों पर प्रतिबंध को हटा दिया गया.

इजरायल ने ड्रोन से ईरान को दहलाया

इजरायल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने वॉशिंगटन पोस्ट को बताया कि ईरान पर ड्रोन हमला किया गया था. इसका मकसद उसे ये बताना था कि इजरायल चाहे तो ईरान में घुसकर तबाही मचा सकता है. वहीं एक अमेरिकी न्यूज चैनल ने दावा किया कि हमले से एक दिन पहले यानि गुरुवार को अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने इजरायली रक्षा मंत्री योव गैलेंट से फोन पर बात की थी. इस दौरान दोनों नेताओं ने ईरान के हमले और मिडिल ईस्ट में तनाव कम करने को लेकर चर्चा की थी.

अधिकारियों के हवाले से दावा किया कि एयरस्ट्राइक में ईरान के इस्फहान प्रांत में मौजूद सैन्य हवाई अड्डे को जानबूझकर टारगेट किया गया. इज़रायली अधिकारियों की मानें तो उनकी सेना का मकसद ईरान को ये समझाना था कि वो बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकती है. वैसे आपको बता दें कि, इस्फहान में जिस हवाई अड्डे पर इज़रायल ने कथित हमला किया.

अटैक के जरिए ईरान को दिया बड़ा संदेश

वहां अमेरिका में बने F-14 टॉमकैट्स का बेड़ा है. जिसे 1979 की इस्लामी क्रांति से पहले खरीदा गया था. यही नहीं, इस सैन्य हवाई अड्डे से कुछ ही दूरी पर ईरान के कई परमाणु ठिकाने भी हैं. हालांकि, ईरान ने दावा किया कि उसके परमाणु ठिकाने पूरी तरह सुरक्षित हैं और उन्हें किसी भी तरह का खतरा नहीं है.

उधर ईरान और इज़रायल के बीच छिड़ी जंग की वजह से मिडिल ईस्ट समेत यूरोपीय देशों के माथे पर बल पड़ गए हैं. तेल के दामों में आग लगने की संभावना से दुनिया के कई देश अभी से परेशान नज़र आने लगे हैं. अगर दोनों देशों में जारी जंग और ज़्यादा विकराल रूप अख्तियार करती है तो दुनिया के बाकी देशों के साथ इसका असर भारत पर भी पड़ेगा.

जंग बढ़ी तो भारत पर पड़ेगा क्या असर?

भारत अपनी ज़रूत का 85 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है. लिहाजा, ईरान-इज़रायल के बीच जंग बढ़ी तो कच्चे तेल की कीमत बढ़ जाएगी. भारत के ईरान और इज़रायल से होने वाले आयात-निर्यात पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा.

भारत ईरान से तेल के अलावा कई सामान खरीदता करता है. ईरान से सूखे मेवे, केमिकल और कांच के बर्तन भारत आते हैं. इस आयात पर युद्ध का सीधा असर होगा. वहीं भारत ईरान को बासमती चावल, चाय, कॉफी और चीनी का निर्यात करता है. अगर युद्ध बढ़ा तो निर्यात पर भी असर पड़ेगा.

देश को उठाना पड़ सकता है नुकसान

दूसरी तरफ भारत इज़रायल से सैन्य साज़-ओ-सामान के साथ मोती, कीमती पत्थर, इलेक्ट्रिक उपकरण, उर्वरक और रासायनिक उत्पाद आयात करता है. इस आयात पर जंग का सीधा असर पड़ेगा. रक्षा क्षेत्र में इज़रायल के साथ कई समझौते हुए हैं. भारत के MSME सेक्टर में स्टार्ट अप शुरु करने में इज़रायल ने काफी मदद की है. लेकिन, युद्ध और ज़्यादा बढ़ा, तो इससे MSME सेक्टर को नुकसान उठाना पड़ सकता है. इस युद्ध से शेयर बाज़ार में गिरावट की आशंका जताई जा रही है, हालांकि भारत में अब तक इसका मिला-जुला असर देखने को मिला है. खाड़ी देशों में 87 लाख से ज़्यादा भारतीय रहते हैं, जिनकी जान युद्ध की वजह से खतरे में पड़ सकती है और सरकार को उन्हें बचाने की जद्दोजहद करनी पड़ेगी.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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